Saturday, March 24, 2012

ख्यालों के कोलाज

ख्यालों के कोलाज देखे हैं कभी! जब अथाह मन के अगणित कोनों में अलग-अलग रंगों के ख्याल उमड़ने-घुमड़ने लगें तो उन्हें अलग-अलग टुकड़ों में सजा लो ताकि सारे रंग एक में एक मिलकर बदरंग न हो. ऐसे ही कुछ बेसिरपैर ख्यालों का एक कोलाज:




इश्क होली का एक रंग है--गुलाबी रंग!
सारे रंग उतर जायेंगे
ये नहीं उतरेगा
उम्र भर धो लो
रह जायेगा थोड़ा-थोड़ा
तुममें भी, हममें भी

------------------------------------------------------------------------------------------------------

यादें!
जैसे लोबान की खुशबू
मन के खाली कमरे में
सुलगती रहती है
धीमे-धीमे
मन को महकाती सी
होठों पर खिलती हुई

-----------------------------------------------------------------------------------------------------

सिर पर तुम्हारी हल्की-सी थपकी
या कि
कच्चे-पक्के वादे तुम्हारे
जैसे हो धूप खिली
कई दिनों की बारिश के बाद
ज़िन्दगी फैला दूं मुंडेर पर
एक उम्र की सीलन है
निकल जाए

----------------------------------------------------------------------------------------------------

पेड़ों ने हरी मुस्कुराहटें ओढ़ी हैं
पतझड़ की उदासी उतारकर
टांग दी है खूंटी पर
टेसू अपना सामान समेट
चलने को है
गुलमोहर से कहो जल्दी खिले
खाली जंगल कब तक राह देखे!

------------------------------------------------------------------------------------------------------

बस इतने ही ख्याल बंध पाए मुट्ठी में...तो अब फ्रेम कर दूं ये कोलाज!




चित्र:  गूगल से साभार