Saturday, March 24, 2012

ख्यालों के कोलाज

ख्यालों के कोलाज देखे हैं कभी! जब अथाह मन के अगणित कोनों में अलग-अलग रंगों के ख्याल उमड़ने-घुमड़ने लगें तो उन्हें अलग-अलग टुकड़ों में सजा लो ताकि सारे रंग एक में एक मिलकर बदरंग न हो. ऐसे ही कुछ बेसिरपैर ख्यालों का एक कोलाज:




इश्क होली का एक रंग है--गुलाबी रंग!
सारे रंग उतर जायेंगे
ये नहीं उतरेगा
उम्र भर धो लो
रह जायेगा थोड़ा-थोड़ा
तुममें भी, हममें भी

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यादें!
जैसे लोबान की खुशबू
मन के खाली कमरे में
सुलगती रहती है
धीमे-धीमे
मन को महकाती सी
होठों पर खिलती हुई

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सिर पर तुम्हारी हल्की-सी थपकी
या कि
कच्चे-पक्के वादे तुम्हारे
जैसे हो धूप खिली
कई दिनों की बारिश के बाद
ज़िन्दगी फैला दूं मुंडेर पर
एक उम्र की सीलन है
निकल जाए

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पेड़ों ने हरी मुस्कुराहटें ओढ़ी हैं
पतझड़ की उदासी उतारकर
टांग दी है खूंटी पर
टेसू अपना सामान समेट
चलने को है
गुलमोहर से कहो जल्दी खिले
खाली जंगल कब तक राह देखे!

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बस इतने ही ख्याल बंध पाए मुट्ठी में...तो अब फ्रेम कर दूं ये कोलाज!




चित्र:  गूगल से साभार

18 comments:

monali said...

ज़िन्दगी फैला दूं मुंडेर पर
एक उम्र की सीलन है
निकल जाए...

कि ये सीलन शब्दों को गीला कर देती है.. इसका सूख कर भाप और फिर बादल बन जाना ही बेहतर कि ये मन में रही तो गीली रजऐयों में नींद नहीं आयेगी... लेकिन आंसुओं से बने बादल जब किसी सूखे शहर मे लाखों दुआओं के बाद बरसेंगे भी तो राहत नहीं देंगे किसी को... कि उस शहर के लोग रोयेंगे और एक्-दूसरे से बारिश में दुःख घोलने वाले का नाम पूछेंगे... कि दुनिया वाले दुखों को अपने अंदर समेटे घुट जाने वाले लोगों से ही प्यार करते हैं...

रश्मि प्रभा... said...

http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/03/5.html

प्रवीण पाण्डेय said...

शब्दों के चित्र उकेरे हैं आपने।

Manish Kumar said...

कई दिनों की बारिश के बाद...

ज़िन्दगी फैला दूं मुंडेर पर
एक उम्र की सीलन है
निकल जाए

khas tour par pasand aayin ye panktiyan.

Smriti Sinha said...

wow!!
:)

देवांशु निगम said...

बेसिरपैर के ही सही पर क्या खूबसूरत कोलाज हैं!!!!
मेरी पसंदीदा पंक्तियाँ...


"गुलमोहर से कहो जल्दी खिले
खाली जंगल कब तक राह देखे!"

Ravi Shankar said...

"सिर पर तुम्हारी हल्की-सी थपकी
या कि
कच्चे-पक्के वादे तुम्हारे
जैसे हो धूप खिली
कई दिनों की बारिश के बाद
ज़िन्दगी फैला दूं मुंडेर पर
एक उम्र की सीलन है
निकल जाए........"

ये कोलाज़ मेरे हिस्से का…… ! :)

दीपिका रानी said...

वाह! सारी क्षणिकाएं कमाल कीं। खूबसूरत...

Shekhar Suman said...

@MONALI... tum har jagah footage logi kya ???

Shekhar Suman said...

awesome...

Puja Upadhyay said...

:)

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...




…अब फ्रेम कर दूं ये कोलाज !
अगर यह मुझसे व्यक्तिगत रूप से पूछा गया होता तो स्मृति जी मैं कहता - 'हरगिज नहीं !'

जी भर सकता है भला ऐसी भाव पूर्ण रचनाओं से ?
एक से बेहतर एक हैं सभी कोलाज !
ऐसी सुंदर रचनाओं के चोरी हो जाने के हादसे अंतर्जाल पर आए दिन होते रहते हैं … सावधान !
:)

~*~नवरात्रि और नव संवत्सर की बधाइयां शुभकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार

shikha varshney said...

जैसे हो धूप खिली
कई दिनों की बारिश के बाद
ज़िन्दगी फैला दूं मुंडेर पर
एक उम्र की सीलन है
निकल जाए
क्या बात है...जबर्दास्त्त ख़याल.

ANULATA RAJ NAIR said...

beautiful......................
just saw ur blog...and fell in love.

anu

ravindra vyas said...

padha. sunder! kya aapka e-mail mil sakta hai!

Sawai Singh Rajpurohit said...

बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....

MeeraShreya said...

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Thanks for share.

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